प्रीत करें पलट जावे पल में
दोहा:
मन की लिखे अवलिया तन की लिखे सो पीर,
मन तन की दोनों लिखे उसका नाम फ़कीर।
फीकर सबको खा गई फ़िक्र है सबकी वीर,
फ़िक्र की फाकी करें उसका नाम फ़कीर।
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प्रीत करें पलट जावे पल में,
आण बणे विपरित फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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जोगी केवे जोग साधु ,
चाल चलु जग जीत,
साधु आगे जोर नी लागे,
नीच दिन रेवे नश्चित फ़क़ीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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प्रीत करें पलट जावे पल में,
आण बणे विपरित फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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यहां मस्ताना काल सू -
डरता गावे विरेह रा गीत,
दुनिया डरे ज्योरी केणी केड़ी,
राम होवे भयभीत फ़क़ीरी,
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प्रीत करें पलट जावे पल में,
आण बणे विपरित फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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नाम लिया डर लागे-
मोहे देख्या उठे शीत,
कामि कुकर्मी से मैं नी डरता,
पर मिले रणजीत फ़क़ीरी,
कुण जाते जोगियो री रीत।
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प्रीत करें पलट जावे पल में,
आण बणे विपरित फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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देवनाथ गुरू पुरा मलिया,
शिष दियो इण रीत,
मान मुर्दा भया उण दिनसे,
टूटी भ्रम री भीत फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत,
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प्रीत करें पलट जावे पल में,
आण बणे विपरीत फकीरी,
कुण जाणे जोगियो री रीत।
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