मत कर भोली आत्मा



दोहा:

आम फले नीचो निवे और अरंड आकाशा जाय,
सुगरा नुगरा री पारखा कवि केशोजी समझाय।





मत कर भोली आत्मा थू 

नुगरा रो संग रे नुगरा रे संग, 

थारो गयो जमारो हार जी 

मत कर भोली आत्मा। 

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साधु साधु जाण के मैं आंगणिये, 

जिमायो जी करमो रे प्रताप सू, 

पाखंड निकल आयो जी,

मत कर भोली आत्मा। 

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 हीरो हीरो जाणके नगिनो, 

जड़ायो जी करमो रे प्रताप सू,

भाटो निकल आयो जी, 

मत कर भोली आत्मा। 

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सोनो सोनो जाण के मैं तेवटियो,

बणवायो जी करमो रे प्रताप सू,

 पीतल निकल आयो जी,

मत कर भोली आत्मा। 

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बोलियां राणी रूपादे उगमजी,

री चेली रे गुरू रे प्रताप सू,

अमरापुर में माली जी, 

मत कर भोली आत्मा। 

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