विरहनी भजन लिरिक्स
प्रीतम प्रीत लगाए के दूर देश मत जाय,
बसों हमारी नगरी में हम मांगत तुम काम।
प्रीत पुराणी ना पड़े ज्यों साजन सु लग्न,
पतरी रेवे जल माही फिर भी देत अग्न।
पप्पीया पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
थु जाणे म्हारे पीवं जी री बाता,
के कोयल के कीर पप्पीया
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
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पियू बसत हैं पर भोमी में
सीत मन धरे नहीं धीर,
वरेह लगाई पाय गया प्यालों,
गया कलेजों सीर पप्पीया,
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
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गल गयो मांस हड्डियां रह गई,
दुःखी बड़ों रे शरीर,
दिन नी सैण रैण नी निंद्रा,
लागा शब्द रा तीर पप्पीया,
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
थु जाणे म्हारे पीवं जी री बाता,
के कोयल के कीर पप्पीया,
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
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सुआ रे लायदे संदेशों,
विरहनी री विगत शरीर,
कोकिला एक काम कर मेरो,
होजा समंद में सीर पप्पीया,
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
थु जाणे म्हारे पीवं जी री बाता,
के कोयल के कीर पप्पीया
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
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मिलिया पीवं जीव सुख-
पाया सुखी भयो रे शरीर,
कहे कमाली हाल विरह रा
मिलिया सन्त कबीर पप्पीया
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर ।
थु जाणे म्हारे पीवं जी री बाता,
के कोयल के कीर पप्पीया
पीयू पीयू बोल म्हारा वीर।
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शब्द : पीयूं-परमात्मा को, पप्पीया-पक्षी को, वरेह-तड़पना, भोमी-जगह, धीर-धीरब ।
इस भजन में उन पक्षियों का भी बखान किया गया हैं जिनकी वाणी मीठी हैं जैसे पपिया,कोयल,कीर,सुआ ।
भावार्थ :
इस भजन को विरहनी भजन कहां जाता है, विरह का अर्थ किसी से लगाव होने पर उसके लिए जो तड़प होती है उसे विरह कहां जाता है, कमाली बाई का यह लगाव भगवान के लिए बताया जा रहा है,
कमाली बाई का तन मन भगवान के दर्शन को तरस रहा है उतने में एक पप्पीये की मीठी आवाज कमाली बाई के कानों तक पहुंचती है कमाली बाई इतनी मीठी आवाज सुन भावुक होकर कहने लगती है, हे पप्पीया तू पीयूं पीयूं बोल म्हारा भाई यहां पर पीयूं शब्द परमात्मा को अर्पण किया गया है यानि तू मेरे पीवं (परमात्मा) का गुणगान कर मेरे साथ, क्या पता तेरी इस मीठी आवाज से परमात्मा हमें मिल जाए ।
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