मारो बीडो़ लगा दीजो पार बजरंग बालाजी
मारो बीड़ो लगा दीजो पार,
बजरंग बालाजी ।
टेर : बालाजी मारा बालाजी-२
मारो बीड़ों लगा दीजो पार बजरंग बालाजी ।
पांच पाना रो बिडलो बणायो,
भरी सभा फिरवायो ।
उन बिड़ला ने कोई नहीं झेले,
हनुमत लियो रे उठाय।
बजरंग बालाजी !
मारो बीड़ो लगा दीजो पार बजरंग बालाजी ।
बीड़लो उठायो मुख में दबायो,
चरणा शीश नवायों ।
कर किलकारी कूद गयो सागर,
पणघट आसन लगाय ।
बजरंग बाला जी !
मारो बीड़ो लगा दीजो पार ,
बजरंग बालाजी ।
पानी री पनिहारियाँ बोली,
कोण जनावर आयो ।
जिण देश री सीता कहिजे,
वठा रो वानर आय ।
बजरंग बालाजी !
मारो बीड़ो लगा दीजो पार,
बजरंग बालाजी ।
इतरी बात सुणी हनुमत ने,
नवल बाग़ में आया ।
जिण वृक्ष निचे सीता बैठी,
वहां जाय मुंदडी चिटकाय ।
बजरंग बालाजी ।
मारो बीड़ो लगा दीजो पार,
बजरंग बालाजी ।
देख मुंदडी झुरवा लागी,
कोन जनावर लायो ।
तुलसीदास आस रघुवर की,
नैना नीर भर आय ।
बजरंग बालाजी !
मारो बीड़ो लगा दीजो पार,
बजरंग बालाजी ।
बालाजी मारा बालाजी-२
मारो बीड़ों लगा दीजो पार बजरंग बालाजी ।
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