रमता रावल आया शहर में

पांचों रा भुप पच्चीसों रा न्याति,एक जरणी रा जाया ।

गुण अवगुण से न्यारा खेले,अपना रुप छिपाया ॥


टेर : रमता रावल आया शहर में जुना जोगी आया


रंग नहीं रूप रूप नहीं रेखा, डमकर डोर सजाया ।

आला पिंगला ध्यान धरत है,सुखमण सैज बिछाया ॥


कुण घर जागो कुछ घर सोवो,किण में रेवो समाया ।

पुरूष रा ध्यान धरत हो, किणे थोने शब्द सुणाया ॥


सहि घर सोवो भाण घर जागो,सुन में रेवो समाया ।

अलख पुरूष रा ध्यान धरत हैं,सतगुरु शब्द सुणाया ॥


जागा जका प्रेम पद पाया सुतो ने जमडे रा जाया ।

कहत कबीर सुणो भाई संतो,अगम संदेशों लाया ॥

 

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