साधो भाई देखो सायर वाली लेहरी (कबीर भजन)
साधो भाई देखो सायर वाली री लेहरी ।
उल्टा बाण गिगन जाय लागा जहां दर्शे एक डेरी ।
उण डेरी में सायब बिराजे जहां लिव लागी मेरी ॥
टेर : सतगुरु शब्दों से हेरी साधो भाई देखो दरिया वाली लेहरी
उण डेरी में दर्खत ऊबो पोन डाल नहीं पेरी ।
छाया धूप कछु नी दर्शे,फल लागा सो फेरी ॥
उण डेरी में बाजार बाजे,बाजे आठों पहरी ।
ताली पखाड़त मर्दंग बाजे,बंशी बाजे गेहरी ॥
उण डेरी में सात सायर,नौ सो नदियों गेरी ।
ओले दोले रत्नाकर सागर,बीच में अमृत वेरी ॥
अगम अगोचर निर्भय रा रहता,क्या पुछे गम मेरी ।
कहते कबीर सुनो भाई साधो, निर्गुण मिला फेरी ॥
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