धिन धिन दासी गुरु हमारी
सुलताना मुल्क बुखारंदा धिन है बांधी गुरु हमारी, रस्ता बताया पिव प्यारन दा जिनको नेह लगा ईश्वर से रामो ही राम पुकारंदा सूती सेरी खड़ी विगुती, तीन ताजणा ताड़ंदा बादशाह से किया जवाबा, ये ही हाल तुम्हारंदा चुन चुन कलियां सैज बिछाती कली कली रस न्यारंदा अब तो धरती सोवण लागा कंकड़ नहीं बुहारंदा सवा टांक तन चोला पहरे तीन टांक तन सारंदा अब तो बोझ उठावण लागा गुदड़ सेर अठारंदा चंगी चीज निवाले लेता ताता तुरंत तैयारंदा अब तो बासी खावण लागा शीला सांझ सवेरे दा दल बादल ले लश्कर चढता फौजा चढ़ती नगारंदा अब तो पैल चारण लागा तजिया राज पैजारंदा इतना तज कर लीनी फकीरी धिन आकीन विचारंदा कहे कबीर सुणो भाई साधों फकड़ ज्ञान अखारंदा ।